देहरादून पुलिस ने बच्चों के अपहरण और तस्करी करने वाले एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि एक मुख्य आरोपी अभी फरार है। चौंकाने वाली बात यह है कि अपहरण किए गए दो मासूम बच्चों में से एक को उनके रिश्ते के मामा ने ही दो लाख रुपये में बेच दिया था। पुलिस ने बच्चे को बचा लिया है और मामले की जांच जारी है।
मामला कैसे सामने आया?
यमुना कॉलोनी निवासी रीना ने 2 जनवरी को कैंट थाने में शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे, आकाश (5 वर्ष) और विकास (2 वर्ष), लापता हैं। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच शुरू की। सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई और लोगों से पूछताछ की गई।
जांच में पता चला कि रीना के घर अक्सर उनका मामा राकेश आता-जाता था। राकेश ने 16 दिसंबर को रीना और उसके दोनों बेटों को बिजनौर ले जाने की योजना बनाई। वह रीना को उनके मायके छोड़कर, बड़े बेटे आकाश को देहरादून वापस ले आया। लेकिन छोटे बेटे विकास को बिजनौर में दो लाख रुपये में बेच दिया।
गिरोह का खुलासा
एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि राकेश बिजनौर के जाटान मोहल्ले का निवासी है और सहस्रधारा रोड पर रहकर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में माली का काम करता है। राकेश की जान-पहचान राहुल नाम के व्यक्ति से थी, जिसने उसे बच्चे बेचने का प्रस्ताव दिया।
राहुल की बेटी तानिया ने राकेश को बताया कि धामपुर की प्रियंका नाम की महिला को एक बच्चे की जरूरत है और वह इसके बदले मोटी रकम देने को तैयार है। राकेश ने राहुल और अन्य साथियों के साथ मिलकर बच्चों के अपहरण की योजना बनाई।
गिरफ्तारियां और गिरफ्तारी के प्रयास
पुलिस ने 10 दिनों की जांच के बाद राकेश, तानिया, प्रियंका और सेंटी को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, मुख्य आरोपी राहुल अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है। पुलिस ने बताया कि आरोपी राहुल और अन्य लोग अमरोहा में राहुल की बुआ के घर पर रुके थे। पुलिस ने वहीं से राकेश और तानिया को गिरफ्तार किया, जबकि प्रियंका और सेंटी को उनके गांव कोडीपुरा से पकड़ा गया।
राकेश के बच्चों का भी सौदा
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि राकेश पहले भी बच्चों को बेच चुका है। उसने अपने ही दोनों बच्चों को प्रियंका और सेंटी के जरिए किसी अन्य को बेच दिया। पुलिस अब इन बच्चों की भी तलाश कर रही है।
पुलिस की अपील
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अपने आसपास ऐसे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज की प्राथमिक जिम्मेदारी है।
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की सख्ती का उदाहरण है, बल्कि समाज में जागरूकता और सतर्कता बढ़ाने की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।